कल अमावस्या और दुर्लभ संयोग – सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की त्रिमूर्ति जीवन में सफलता लाएगी, जिसका ज्योतिष के अनुसार विशेष महत्व है। आगामी बुधवार, 25 तारीख को हिंदू कैलेंडर के अनुसार उदित तिथि जेठ वद अमासा मानी जाएगी। जिसका साधना के मार्ग में विशेष महत्व है और ज्योतिष में भी इसका विशेष महत्व है।

सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति की त्रिमूर्ति जीवन में सफलता लाएगी।
ज्योतिषाचार्य आशीष रावल के अनुसार सोमवार या बुधवार अमासा का विशेष महत्व है। इस दिन मिथुन राशि में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की त्रिदेवता होने से जीवन में सभी प्रकार की सफलता पाने के लिए देवाधिदेव महादेवजी को कच्चे दूध से जल चढ़ाकर हरा नारियल चढ़ाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं, मावनी मिठाई के चार टुकड़े चढ़ाएं और सम संख्या में प्रदक्षिणा करें। जन्म और विवाह के सभी पापों की शांति या अशुभ योगों के निवारण के लिए पूजा की जा सकती है। इस दिन योग संख्या 4 है, जो राहु का माना जाता है। कल अमावस्या और दुर्लभ संयोग
अमासा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
ज्योतिष शास्त्र में अमासा तिथि को शनिदेव की जन्म तिथि माना जाता है।
इस तिथि पर पितरों के निमित्त किया गया दान पुण्य फलदायी होता है।
सोमवार या बुधवार को पड़ने वाली अमासा तिथि शुभ मानी जाती है।
रविवार को पड़ने वाली अमासा तिथि अशुभ मानी जाती है।
इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ज्योतिष शास्त्र में अमासा तिथि को रिक्ता तिथि कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस तिथि पर किए गए कार्यों का कोई फल नहीं मिलता।
अमासा तिथि पर महत्वपूर्ण क्रय-विक्रय और सभी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस तिथि पर पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।
25 जून को जेठ माह की अमावस्या यानि हलहरिणी अमावस्या है। इस माह में अगर पेड़ लगाए जाएं तो बारिश के कारण उन पौधों के बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। बारिश के मौसम में उचित देखभाल से वे पौधे मिट्टी में अपनी जड़ें मजबूत कर लेते हैं और फिर आसानी से बढ़ने लगते हैं। इस कारण से हलहरिणी अमावस्या के दिन पूजा-पाठ के साथ कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। आमतौर पर हलहरिणी अमावस्या से बारिश शुरू हो जाती है, खेतों की मिट्टी नई फसल के बीज बोने के लिए तैयार हो जाती है। इस कारण से जेठ माह की अमावस्या के बाद खेती का काम शुरू हो जाता है। हल की पूजा करने के बाद खेतों में बुवाई का काम शुरू होता है, जिसके बाद बीज बोए जाते हैं। कल अमावस्या और दुर्लभ संयोग
कल अमावस्या और दुर्लभ संयोग
कल अमावस्या और दुर्लभ संयोग: अमावस्या और दुर्लभ संयोग कल: 25 जून 2025
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